Eid Ghazal

Eid Ghazal | ईद पर ग़ज़ल

ईद पर ग़ज़ल

( Eid Par Ghazal )

 

लिए पैगाम खुशियों का मुबारक ईद आती है।
भुलाकर वैर आपस के हमें जीना सिखाती है।।

 

खुदा के है सभी बंदे भले मजहब कोई भी हो।
करो दीदार चंदा का दिलों का तम हटाती है।।

 

नहीं  कोई  पराया  है  बढ़ाके  हाथ  तो  देखो।
गले लग लो सभी यारो गिले-शिकवे मिटाती है।।

 

मिठाई   खूब  बनती है कहीं सेंवी कहीं बर्फी।
करे सब दूर कड़वाहट मधुरता को बसाती है।।

 

दिलों  को  साफ  कर देखो सभी जाले मिटा दो अब ।
‘कुमार’ मिलजुल मनाओ ईद जन-जन को बुलाती है।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(M A. M.Phil. B.Ed.)
हिंदी लेक्चरर ,
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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