एक कप चाय
( Ek cup chai )
एक कप चाय को कभी कम मत आंकना।
बड़े-बड़े मसले हल हो जाते सब चाय में।
जरिया मेल मिलाप का बुला लेना चाय पे।
रिश्तो में मिश्री सी घुल सी जाती है चाय में।
एक कप चाय में खुल जाते हैं दिल के द्वार।
भीनी सी महक आये सुबह-सुबह चाय में।
एक कप चाय देती है ताजगी का एहसास।
दिल को सुकून मिलता ताजा ताजा चाय में।
महफिल सजा लो यारों सहर हो या शाम हो।
रंगत आ जाएगी तन मन एक कप चाय में।
जुड़ जाते सब तार दिलों के रिश्ते निभाने से।
अपनापन अनमोल बरसे एक कप चाय में।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )