मानव धर्म | Ek laghu katha
हर हर गंगे जय राधे कृष्ण आदि उच्चारणों के सत्तो मौसी हमेशा ही सब सुगह मन्दिर जाती उनकी पूजा टोकरी हमेशा ही सामग्री से भरी रहती वह अपनी पूजा की टोकरी का ध्यान से ज्यादा रखती कोई उनकी टोकरी के पास से भी जाये यह उन्हें मन्जूर नहीं था।
खासकर वह छोटी वालो से हमेशा कतरा कर चलता थी। अगर कोई भी या दूसरी जाति का उसके सामने से भी गुजर तो वह जल छिड़क कर आगे बढ़ती अपनी कट्टरपंथी आदत के कारण वह अपने पड़ोसी में भी थी। वह बहुत धार्मिक थी अधिकतर उनका ध्यान पाठ में ही रहता।
अहमद नाम का एक सब्जी वाला अक्सर उनके सब्जी देने आता। वह उनके स्वर्गीय पति राजन का मित्र था। अक्सर वो राजन शर्मा के पास जाता था। राजन शर्मा भी मिलन सार व्यक्ति थे।
से हँसते बोलते थे। अहमद उम्र में उनसे छोटा था लिये वह उन्हें मौसी और सत्तो को सत्तो मौसी कहता लेकिन मौसी को अहमद का अपने घर आना जाना का नहीं लगता था, उनका बस चलता तो अहमद को नहीं घुसने देती लेकिन अब शायद स्वर्गीय पति का बात करते हुए अहमद को सिर्फ बरामदे तक ही आने जाता था।
और अहमद को पानी भी अलग गिलास में भरा जाता। उसे मौसी की ये हकीकत बुरी तो लगती न वह अपने स्वर्गीय दोस्त राजन शर्मा का ख्याल करके चुप रह जाता, वह मौसी की इस बात का बुरा इसलिए और नहीं मानता था वह सोचता था मौसी दिल की अच्छी है।
एक दिन मौसी को मंदिर जाना था। इसलिए वो जल्दी जल्दी सड़क पार कर रही थी। तभी बेध्यानी में सामने से आती हुई कार से उनकी टक्कर हो गयी। मौसी को काफी चोट आयी। सामने ही अहमद की सब्जी की दुकान थी।
अहमद ने जब मौसी को वहां गिरते देखा तो जल्दी से भागकर वहां पहुंचा तब तक मौसी बेहोश हो चुकी था। उनकी पूजा की टोकरी भी छिटक कर दूर जा गिरी थी।
अहमद ने जल्दी से उसी कारवाले की मदद से मौसी को कार में लिटाया, उनकी पूजा की टोकरी भी उठाकर बड़ी श्रद्धा से मौसी के पास रखी और उन्हें हॉस्पिटल पहुँचाया और उन्हें एडमिट करके मौसी के घर पर फोन किया और खुद डॉक्टर के पास आया लेकिन डॉक्टर ने फौरन अहमद से खून का इंतजाम करने को कहा क्योंकि एक्सीडेंट में उनका काफी खून वह चुका था।
ओर इस ग्रुप का खून उनके पास उपलब्ध नहीं था। तब अहमद ने अपना खून टेस्ट करवाया और संजोग से मौसी का खून उसके खून से मिल गया डॉक्टरों ने मौसी की जान बचा ली। जब मौसी को होश आया तो उन्होंने अपने आप को हॉस्पिटल में पाया।
उन्हें जब सब हालात मालूम हुए तो बहुत आशचर्य हुआ उन्हें बचाने वाला वही मुसलमान है। जिसका वह अछूत समझती थी। उसका घर के अन्दर आना भी गवारा नहीं करती थी। डर कि कहीं घर अपवित्र न हो जाये आज उसकी रगों में उसका ही खून दौड़ रहा है।
तो क्या वह भी अछूत हो गयी उनका दिमाग यही सोच- सोच कर परेशान था। लेकिन उनकी आंखों पर जो अंधविश्वास का परदा पड़ा था वह अहमद की बातों से हट अहमद मौसी को समझा रहा था। मौसी हमारी असली धर्म तो मानवता है इंसानियत है इन्सानियत सब धर्मों से बड़ा धर्म है।
किसी अछूत या दूसरे धर्म के व्यक्ति के छुने से कोई भी धार्मिक स्थल अपवित्र नहीं होता वह तो हमेशा से पवित्र रहा है और रहेगा। कोई भी इन्सान चाहे किसी भी मजहबध्धर्म का हो वह अपवित्र नहीं होता है तो उनका मन हमे अपने मन को पवित्र करना चाहिए।
मिलजुल कर सभी के दुःख सुख दुःख में काम आना चाहिए तो सही मायने में यही हमारा धर्म होगा और यही हमारा मजहब है। अब मौसी की भी समझ मे आ गया था।
सभी इंसान एक जैसे होते है उनकी रंगो में दौड़ने वाला खून भी एक जैसा ही होता है, चाहे वह किसी भीध्मजहब के हो। जिस तरह सभी नदियों का पानी एक ही होता है चाहे नदियों के नाम अलग- अलग क्यो न हो लेकिन उन सभी नदियों को पानी एक समुद्र में मिलना है ।
वहां सिर्फ पानी रह जाता है नदियों के नाम नहीं उसी तरह इंसाफ को एक न एक दिन ऊपर ही जाना है वहा भी सिर्फ इंसान की इंसानियत रहेगी हमारा धर्मध्मजहब यही छूट जायेगा
आधा मानव, मनुष्य से पहले की नस्ल है- चिंपेन्जी
यदि हम किसी चिड़िया घर मे जाये तो चिंपेन्जी जिसे हम बंदर की नस्लो की गिनती में लाते हैं। असल मे चिंपेन्जी को आधा मानव का नाम दे सकते है।
क्योंकि काफी खूबियां चिंपेन्जी में मानव सी है। अभी हाल ही में जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के भूगर्भ विगाम के जुलियों मकर्डर ओर हिम् को आखिरी कोस्ट के भाई नेशनल परकमेकी गयी।
खुदाई चिंपेन्जी का हथौड़ा हाथ लगा जिससे अनुमान लगाया गया की जब आदी मानव ही नहीं था तब चिंपेन्जी अपने हाथ से अखरोट हथौड़ा द्वारा तोड़कर व अन्य सुख फलो को खता था।
पचास लाख साल पुरानी नस्ल है चिंपेन्जी की इससे ज्ञात होता है कि उस जमाने का सबसे समझदार प्राणी था चिंपेन्जी आज चिड़िया घरो में हमारे मनोरंजन का सामान बने चिंपेन्जी का ये हैरत अंगेज कारनामा है। की मानव से पहले था चिंपेन्जी आदि मानव इस बात की पुष्टि के लिये की वास्तव मे चिंपेन्जी ने 40 लाख साल पहले बनाया था।
अपने इस्तेमाल के लिये पत्थर का हथौड़ा इसलिये माकर्डर ओर उनकी टीम ने उन जगहों पर हथौड़ा बनवाकर विखराये हो जहां चिंपेन्जी ज्यादा पाये जाते हैं ताकि वो चिंपेन्जी को उन हथौड़ी का इस्तेमाल करते हुए देख सके ।
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रुबीना खान
विकास नगर, देहरादून ( उत्तराखंड )