निबंध : आधुनिक समय में महात्मा गांधी के विचारों का महत्व

निबंध : आधुनिक समय में महात्मा गांधी के विचारों का महत्व | Essay In Hindi

निबंध : आधुनिक समय में महात्मा गांधी के विचारों का महत्व

( Importance of Mahatma Gandhi’s thoughts in modern times

: Essay in Hindi )

 

महात्मा गांधी एक बहुआयामी व्यक्ति थे। वह राष्ट्रवादी और अंतरराष्ट्रीयवादी थे। एक राजनीतिक नेता के साथ साथ वह एक आध्यात्मिक गुरु, एक लेखक, एक विचारक, एक कार्यकर्ता थे।

वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो भारत की परंपरा और सभ्यता के साथ सहज उत्कृष्ट बुद्धिजीवी थे। उन्होंने लोगों को न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए नेतृत्व किया बल्कि एक बेहतर भारत तथा एक समुदाय, धार्मिक, आर्थिक यहां तक कि पूर्वाग्रहों से मुक्त समाज प्रदान करने में भी प्रयास किया।

महात्मा गांधी हमारे अतीत के केवल एक महान व्यक्ति ही नही थे बल्कि वह हमारे समाज के मार्गदर्शक भी है और हमारे कल के लिए दीप स्तंभ की तरह है।

हमारी घरेलू और विदेशी नीतियां, भारत की विकास और कूटनीति सबसे छोटे से गांव से लेकर वैश्विक गांव तक पहुंच है। अतः कई मायनों में यह सारी नीतियां गांधीवादी दर्शन में पाई जाती हैं।

महात्मा गांधी ने हमें दो अस्त्र प्रदान किए – सत्याग्रह और सर्वोदय। सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ होता है सत्य के प्रति व्रत होना। यह सत्य के मार्ग से सत्य तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है।

व्यक्ति द्वारा महान लक्ष्य तक पहुंचाता है। साथ ही संसाधनों के लिए प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। दूसरी तरफ सर्वोदय का अर्थ है सभी का उत्थान अर्थात प्रत्येक पुरुष, स्त्री और बच्चे का, प्रत्येक राष्ट्रीयता, प्रत्येक जातीयता और हमारे बीच सबसे अधिक वंचित का उत्थान करना। यह प्रत्येक मनुष्य की गरिमा का सम्मान करने जैसा है

गांधी दर्शन

मूल रूप से गांधी दर्शन सामाजिक -आर्थिक व्यवस्था, प्रेम, नैतिकता, धार्मिकता, ईश्वरी भावना पर आधारित है। उन्होंने नर सेवा को ही नारायण सेवा मानकर दलितों के उद्धार के लिए इसे अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया।

वह शोषण मुक्त, समता में परस्पर स्वावलंबी, परस्पर पूरक, परस्पर पोषक समाज के प्रबल हिमायती थे। महात्मा गांधी का मानना था कि राज श्रद्धा और अर्थ सत्ता के विकेंद्रीकरण आम आदमी को लोकतंत्र की अनुभूति सच्चे अर्थों में नहीं होने दे सकती।

सत्ता का विकेंद्रीकरण लोकतंत्र की प्रकृति से मेल नहीं खाता है। महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की कल्पना की जिससे राज्य सत्ता के विकेंद्रीकरण किया जा सके।

गांधी जी ने हमें किसी नीति और वास्तव में किसी कार्य को न्याय करने के लिए एक विधि प्रदान किया है। यह आकलन करने के लिए कि क्या प्रस्तावित कार्यवाही जिस व्यक्ति हम मिले थे वह गरीब व्यक्ति के जीवन, सम्मान और उद्दार को समृद्ध करेगा।

इन सिद्धांतों ने भारत में विकास के अनुभव को आकार दिया। यही कारण है कि भारत  अपनी अर्थव्यवस्था का सही आकलन करके दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन पाया। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था  सबसे अधिक गरीबी को खत्म करने की दिशा में भी तीव्र गति से अग्रसर हुई।

पिछले एक दशक में भारत में जिन बड़े राष्ट्रीय मिशन पर हमें गर्व करना चाहिए उनमें न केवल सबसे तेजी से बढ़ती हुई महत्वकांक्षी सड़क निर्माण और राजमार्ग का विस्तार हुआ।

बल्कि लाखों परिवारों को रसोई में खाना पकाने के लिए गैस कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। हर गांव के हर घर तक बिजली पहुंचाना भी इसमें शामिल है।

कुछ समय पहले भारत ने एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम आयुष्मान भारत का आरंभ किया था जिसे स्वास्थ्य क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी परियोजना कहा गया है।

यह कार्यक्रम गरीबों एवं वंचित परिवारों के लाभार्थी हेतु हमारे गुणवत्ता के प्रति सजग और लागत प्रभावित फार्मा अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं के आधारभूत संरचना का लाभ प्रदान करने का प्रयास है।

वर्तमान समाज और गाँधी जी

वर्तमान समय उस विश्व से काफी अलग है जिसमें महात्मा बांध गांधी थे। फिर भी आज इक्वेशन शताब्दी के वैश्विक चिंतन में गांधी दर्शन प्रसांगिक है।

धारणीयता परिस्थिति संवेदनशीलता और प्रकृति के साथ सद्भाव में गांधी जी का पक्ष हमारे समय की चुनौतियों का अनुमान लगा लिया था।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए स्थित सतत विकास लक्ष्य कार्यवाही में गांधी दर्शन होते हैं। जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम या किसी भी कार्यक्रम में कोई भी चर्चा में महात्मा गांधी का आवाहन एक परंपरा सी बन गई है।

निष्कर्ष –

गांधीजी के विचार और वर्तमान के संबंध में चिंतन करने पर लगता है कि आज की स्थिति परिस्थिति और लोगों की मनाए स्थित में बहुत अंतर है। इस आतुरता की जिद में सारे नीति नियम कायदे कानून तोड़कर हम अनैतिक और हिंसक बनते जा रहे हैं।

यहीं से विकृति प्रारंभ होती है और राष्ट्रहित के स्थान पर स्वाहिद बढ़ने लगता है। हर क्षेत्र में आधारभूत ढांचे से हटकर परिवर्तन हुआ है। इस दृष्टि से सर्वोच्च शासन व्यवस्था लोकतंत्र पूंजीवादी तंत्र में परिवर्तित हो रही है।

सामान्य निर्धन व्यक्ति जनता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। संसद और विधान मंडल दोनों सदनों में 45% से अधिक सदस्य किसी न किसी आपराधिक श्रेणी से आते हैं। एक तरह से कहें तो राजनीति में अपराधियों का बोलबाला हो गया है।

आधुनिक भारत का निर्माण करने वाले आधुनिक शिक्षा की आड़ में गांधी के विचारों को दरकिनार कर दिया गया है। जिससे आज ऐसी स्थितियां हो गई है कि एक गरीब बालक के लिए वांछित शिक्षा प्राप्त करना दुष्कर हो चुका है।

सारी स्थितियां और परिस्थितियों का एक कारण है कि गांधीवादी विचारधारा का झंडा तथाकथित गांधी वादियो ने थाम रखा है। जिस चरखी और खादी से उन्होंने जन-जन को जागरूक किया था आज उसे हाशिए पर धकेल दिया गया है।

खादी पहनने वाले खादी की लाज रखना भूल चुके हैं। उनके लिए खादी स्वयं को नेता सिद्ध करने वाली चीज मात्र बन कर रह गई है। उनके सहयोगियों ने उनके मूल्यों एवं कार्यक्रमों को तिलांजलि दे दी है।

सरकार के कामकाज में गांधीवादी दर्शन और लक्ष्यों को देखन मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन फिर भी यदि गांधी दर्शन को आज भी अपना लिया जाए तो एक बेहतर समाज की स्थापना संभव है।

लेखिका : अर्चना  यादव

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