हिंदी दिवस
हिंदी दिवस

मेरा सम्मान – मातृभाषा हिन्दी

( Mera samman – matribhasha Hindi )

 

कब तक हिंदी मंद रहेगी
अग्रेजी से तंग रहेगी
कब तक पूजोगे अतिथि को
कब तक माँ यूँ त्रस्त रहेगी

माना अग्रेजी की जरूरत सबको
माना बिन इसके नहीं सुगम डगर हो
माना मान सम्मान भी दिलवाती
पर मातृ भाषा बिन कैसी जिन्दगी

हिन्दी भाषा माँ की भाषा
पहला पाठ पढ़ाती हमको
आँचलिक भाषाओ का रंग भी
अपने में मिलाती देखो

मात पिता की सेवा अर्चन
अपने तो संस्कार यही हैं
हिन्दी मेरी जुबा ही नही
मेरे दिल की शहजादी है

प्रथम शब्द निकला माँ बनकर
प्रथम पाठ भी पढा तुम्ही से
फिर अपनी मातृभाषा को
कैसे बाहर करू इस दिल से

ये मतवाली मातृभाषा
हिन्दी मेरी सबसे ऊँची
कोई किसी भी जुबा में बोले
माँ की भाषा सबसे मीठी होती

अन्य भाषाओं से बैर नहीं कोई
दिल में बसाकर रखते हैं हम
मात भाषा का दर्जा जग मे
ईश्वर से भी प्रथम रखते हैं हम

पैसा रुतबा रौब सभी कुछ
अग्रेजी से मिल जायेगा
वो शहद कहाँ से पाओगे
जो माँ के आँचल में घुलता

मेरी हिदी प्यारी हिन्दी
गदगद भाव से भर देती है
ज्यौ बहती नदिया शांत चाल से
दरिया को वश में कर लेती

क्या माला के मोती भी
कभी जुदा हो र्बिंध सकते है
हिन्दी भी तो सर्व मुखी है
बिन बोले क्या जी सकते है

कहीं राग कहीं द्वेष के संग है
कही प्रांत कही क्षेत्र के ढंग है
सम्मान की जननी मातृभाषा में
इन्द्रधनुष के सातो रंग है

?


डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून

यह भी पढ़ें :-

पर्यावरण सुरक्षा ही जीवन रक्षा | Paryavaran Kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here