Essay in Hindi on Science and Technology

निबंध : विज्ञान और प्रौद्योगिकी | Essay in Hindi on Science and Technology

निबंध : विज्ञान और प्रौद्योगिकी

( Science and Technology : Essay in Hindi )

 

प्रस्तावना :-

इस आधुनिक दुनिया में एक देश के लिए दूसरे देश से मजबूत, ताकतवर और अच्छी तरीके से विकसित होने में विज्ञान और तकनीकी का विकास बेहद जरूरी है। इस प्रतियोगी समाज में आगे बढ़ने और जीवन में सफल होने के लिए तकनीकों की जरूरत पड़ती है।

आज मनुष्य ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में काफी तरक्की कर ली है। ऐसे में तकनीकी के बिना रह पाना एक तरह से नामुमकिन हो गया है। तकनीक ने हमारे जीवन को सरल, आसान और सुविधाजनक बना दिया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का महत्व :-

हर सेकंड एक नई तकनीकी दुनिया के किसी न किसी कोने में जन्म लेती है। आधुनिक युग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का युग है। विज्ञान एक घटना है जो कारण और प्रभाव के संबंध में इसके इर्द-गिर्द घूमती है।

जबकि प्रौद्योगिकी दिन प्रतिदिन के कार्य में वैज्ञानिक ज्ञान का व्यवहारिक अनुप्रयोग करना है। भारत एक विकासशील देश है। यह पहले से ही कई आंतरिक और बाहरी समस्याओं से जूझता रहा है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए हर क्षेत्र में वैज्ञानिक उन्नति और तकनीक का उपयोग आवश्यक है। विकसित राष्ट्र के सामने खड़े होने के लिए इस विकासशील देश को नई तकनीक अपनाने की जरूरत है।

भारतीय संविधान में प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51a में भारत का संविधान वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और इस भावना को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

भारत के संविधान में अन्य सभी कर्तव्यों के साथ-साथ वैज्ञानिक अनुसंधान का एक कर्तव्य लाया है। वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के लिए देश के समस्त नागरिकों को एक स्थान प्रदान किया जाना चाहिए।

जीडीपी का बढ़ना :-

किसी देश की समृद्धि को उसके जीडीपी से मापा जाता है। एक वित्तीय वर्ष के दौरान देश की सीमा के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं एवं एवं सेवाओं का मूल्य जीडीपी कहलाता है।

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में जीडीपी महत्वपूर्ण योगदान देता है। कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, यह सब देश के जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से विकास को गति प्रदान की जा सकती है।

प्राथमिक क्षेत्र में विकास:-

भारत की आजादी के समय भारत अपनी खाद्य शर्तों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर था। विदेशी सरकारें अक्सर खाद्य सहायता के लिए राजनीती और इस देश के गौरव को ठेस पहुंची।

भारत सरकार ने देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजना तैयार करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेताओं ने दृढ़ संकल्प लिया।

उनका मानना था कि यदि देश आत्मनिर्भर हो जाएगा तो देश में रोजगार होगा। सरकार इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए लोगों को कृषि क्षेत्र से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए बढ़ावा देने लगी।

भारत एक ऐसे दौर में रह चुका है, जहां पर जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही थी लेकिन खेती से उत्पादकता कम थी। ऐसी स्थिति में विज्ञान के उपयोग से ही उपयोग उत्पादकता को बढ़ाई जा सकती थी। इसलिए देश में हरित क्रांति की तकनीक को लागू किया गया।

इस तकनीक में सफलता के झंडे गाड़े। तकनीक का इस्तेमाल बीज, जल, उर्वरक में सुधार के लिए किया गया। यह क्रांति भारत के लिए काफी मददगार हुई। देश में खाद्यान्न उत्पादन कई गुना बढ़ गया। भारत अपने घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर हो गया।

औद्योगिक क्षेत्र :-

इंग्लैंड की 19वीं सदी में औद्योगिक क्रांति के बाद बिजली, मोटर, भाप इंजन आदि जैसे शक्तियों के साथ बदलने लगा। मशीनें श्रमिकों का स्थान लेने लगी। वह सभी गैजेट्स जिससे आज हम घिरे हैं यह सब वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के द्वारा ही संभव हो सका है।

कारखानों व अन्य स्थानों से आज हम मशीनों का उपयोग करते हैं। तकनीक ने गुणवत्ता और अंतिम उत्पाद की मात्रा में सुधार किया और आम लोगों तक उसकी पहुंच को सुनिश्चित किया।

इस परिवर्तन ने उत्पादों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया। बाजारों तक विभिन्न उत्पादों को प्रदान करने में सहूलियत हुई। इस प्रकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने पारंपरिक औद्योगिक क्षेत्र के उत्थान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सेवा क्षेत्र

सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति सेवा क्षेत्र का एक उदाहरण है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने बीमा, बैंकिंग, परिवहन, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में अपना प्रमुख स्थान बना लिया है। संचार को बेहद आसान बना दिया है। शिक्षा के संसाधनों में वृद्धि हुई है। मशीनें का प्रयोग केवल एक बटन को दबाते ही संभव हो गया है।

निष्कर्ष

सूचना प्रौद्योगिकी और विज्ञान का उपयोग वर्तमान और भविष्य की बेहतरी के लिए होना चाहिए। एक सिक्के की तरह जिसके दो पहले होते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग भी दो प्रकार के परिणाम के लिए किया जा सकता है। एक मानव प्रगति में मदद कर सकता है और दूसरा उथल-पुथल और त्रासदी ला सकता है। यह हम सभी पर निर्भर करता है कि हम किस का चुनाव करते हैं

लेखिका : अर्चना  यादव

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