गांधी बनना है आसान
गांधी बनना है आसान
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गांधी बनना है आसान,
सुन लो भैया खोलकर कान।
अब भी ना तुम बनो नादान,
गांधी बनना है आसान।
बस करना है तुम्हें दस काम,
फिर बन जाओगे तुम भी महान।
गांधी बनना है आसान,
‘सादा भोजन’ सुबहो शाम;
उद्देश्य पूर्ति को करो ‘व्यायाम’ ।
‘आंदोलन’ का रास्ता सच्चा,
‘अहिंसा’ से कुछ न अच्छा।
‘प्रतिशोध’ से करो परहेज,
‘वर्तमान में जीयो’ तू रोज।
‘साफ सफाई’ का रखो ध्यान,
इससे उत्तम न कोई काम।
टायलेट से रसोई तक,
स्वच्छ हो इतना न भटके मक्खी तक!
‘खुद पर करें विश्वास’,
दुनिया को आपसे ही है आस;
बुराइयों का कर सकते हैं नाश ।
‘नापसंद को ईमानदारी से ना’ करें,
बेवजह हां में हां ना कहें।
इससे आक्रोश व कुंठा पनपती है,
भविष्य में बनी बात भी बिगड़ सकती है।
आरंभ करने से पहले ‘ध्येय तय करें’,
फिर आगे को बढ़ें।
ठानें हैं उसे पूरा करके ही दम लें,
छोटी बातों को भी न हल्के में लें।
गांधी बनने के ये दस मूल मंत्र है,
क्या करना है? निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं।
उपर्युक्त बातों का जो रखेंगे ध्यान,
निश्चय ही बन सकते हैं महान।
छू लेंगे एक दिन आसमान,
हां, गांधी बनना है आसान;
सुन लो भैया खोलकर कान।