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गणतंत्र दिवस

एक छोटे से गाँव में एक छोटा लड़का रहता था, जिसका नाम रोहन था। गणतंत्र दिवस नजदीक था। रोहन की बड़ी बहन मोनी गणतंत्र दिवस के अवसर पर देशभक्ति गीत सुनाने की घर पर तैयारी कर रही थी।

रोहन को बार बार गणतंत्र दिवस का नाम सुनने को मिल रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर गणतंत्र दिवस हैं क्या? उसको गणतंत्र दिवस के बारे में जानने की बहुत जिज्ञासा थी। वह अपने प्रश्न के उत्तर पाने की आशा लिए दादा जी के पास पहुँचा। दादा जी अपने कमरे में चारपाई पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।

उसने संकोच के साथ अपने दादा जी से पूछा,

“दादा जी, गणतंत्र दिवस क्या है? मोनी दीदी गणतंत्र दिवस पर गीत गाने की तैयारी कर रही है। क्या गणतंत्र दिवस इतना बड़ा दिन होता है?”

रोहन के दादा जी ने गणतंत्र दिवस एवं राष्ट्रीय पर्वों के बारे में समझाते हुए कहा,

“रोहन बेटा, हमारे देश का नाम भारत है। हमारे देश भारत में तीन राष्ट्रीय पर्व/त्यौहार मनाए जाते हैं। इन तीनों राष्ट्रीय पर्वों के नाम हैं- गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती।

स्वतंत्रता दिवस(15 अगस्त 1947) को हमारे देश को अंग्रेजी शासन से आज़ादी मिली थी। 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान(कानून) सम्पूर्ण देश मे लागू हुआ था। असल मायनों में यही असली आज़ादी थी। संविधान, किसी देश या राज्य के मौलिक नियमों का एक समूह होता है।

यह एक लिखित दस्तावेज़ होता है. संविधान, सरकार के कामकाज, नागरिकों के अधिकार, और सरकार और नागरिकों के बीच संबंधों को तय करता है। संविधान, किसी देश का सर्वोच्च कानून होता है। आज़ादी के बाद हमारे देश का संविधान बनने में 2 वर्ष 11 महीनें 18 दिन लगे थे।

तीसरे राष्ट्रीय पर्व 2 अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिन मनाते हैं। राष्ट्रीय त्यौहार या राष्ट्रीय पर्व किसी जाति या धर्म विशेष के ना होकर संपूर्ण राष्ट्र के होते हैं।

राष्ट्रीय पर्व देश की एकता, अखंडता, और स्वतंत्रता का प्रतीक होते हैं। ये पर्व हमें देश के इतिहास और संस्कृति की याद दिलाते हैं। राष्ट्रीय पर्वों को मनाने का मकसद देशभक्ति की भावना को बढ़ाना और लोगों को एकजुट करना होता है।

राष्ट्रीय पर्वों के ज़रिए हम उन महान लोगों को याद करते हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। ये पर्व हमें देश के इतिहास के मील के पत्थरों का जश्न मनाने का मौका देते हैं।

ये पर्व हमें अपने देश के प्रति गर्व और जिम्मेदारी का एहसास कराते हैं। ये पर्व हमें देश के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना से प्रेरित करते हैं। ये पर्व हमें एकजुट रहने और हर संभव तरीके से देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं।”

रोहन ने पूछा, “दादा जी, क्या हमारे देश के लोग सचमुच इतने महान थे?”

दादा जी ने कहा, “हाँ, रोहन, वे सचमुच महान थे। उन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया था। उन्होंने अंग्रेजी शासन से हमारे देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपने प्राणों तक की आहुति दे दी थी।”

रोहन ने पूछा, “दादा जी, क्या इसीलिए हम राष्ट्रीय पर्व मनाते हैं?”

“हाँ बेटा, उनकी याद में हम राष्ट्रीय पर्वों को पूरे देश में धूमधाम से मनाते हैं। बेटा, हम उनकी याद में बहुत कुछ कर सकते हैं। हम उनकी याद में अपने देश की एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए काम कर सकते हैं। हम उनकी याद में अपने देश के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।”

रोहन ने कहा, “दादा जी, मैं भी उनकी याद में कुछ करना चाहता हूँ। लेकिन मैं तो बहुत छोटा हूँ। मैं तो कोई गीत भी ठीक से नहीं गा सकता। मैं क्या करूँ? दादा जी, मुझे सुझाव दीजिए। मैं अपने देश की एकता और अखंडता के लिए काम करना चाहता हूँ। देश की सेवा करना चाहता हूँ।”

दादा जी ने कहा, “रोहन, मुझे तुम पर गर्व है। इतने छोटे होने के बावजूद तुम देश के बारे में अभी से सोचने लगे? तुम सचमुच एक अच्छे नागरिक बनोगे।

वैसे देश की सेवा करने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे- अपने आस-पास के इलाके को साफ़-सुथरा रखकर, लोगों में सफ़ाई के प्रति जागरूकता फैलाकर, गरीब लोगों की पढ़ाई में मदद करके, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, काला बाज़ारी, जमाखोरी आदि का विरोध करके, सादा, सच्चा और ईमानदार जीवन व्यतीत करके, अपने अधिकारों और कर्तव्यों का अच्छे से पालन करके, समय पर आयकर भरकर, पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देकर, सामाजिक समस्याओं को दूर करके, बड़ों का आदर-सम्मान करके, ज़रूरत के मुताबिक बिजली, पानी या दूसरे ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल करके, प्लास्टिक का इस्तेमाल न करके, अपने मोहल्ले की साफ़-सफ़ाई में मदद करके आदि… ऐसे बहुत से काम हैं जिनको करके हम देश की सेवा कर सकते हैं।

व्यक्ति छोटा या बड़ा, अगर वह अपना काम ईमानदारी से कर रहा है तो इसको देश सेवा में ही गिना जायेगा। कद, उम्र मायने नहीं रखती, हर कोई देश की सेवा कर सकता है। देश की एकता व अखण्डता बनाये रखने में मदद कर सकता है।”

“मैं समझ गया दादा जी, मैं देश के लिए ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकता लेकिन अपने आस पास की सफाई करके देश को साफ सुथरा रखने में अपना छोटा सा योगदान तो दे ही सकता हूँ और यह काम मैं नियमित रूप से करूँगा।”

गणतंत्र दिवस के दिन रोहन अपने दादा जी के साथ अपनी बहन मोनी के स्कूल गया। वहाँ उसको देश के बारे में और भी ज्यादा जानने का मौका मिला। उसने विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी जाना। स्कूल में उसने गणतंत्र दिवस का महत्व समझा एवं सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाकर अपने देश की एकता और अखंडता के लिए काम करने का संकल्प लिया।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा

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