आ अब लौट चलें | Geet Aa Ab Laut Chalen
आ अब लौट चलें
( Aa ab laut chalen )
ये हसीन वादियां आजा तुझको पुकारे
आओ आओ चले हम नदिया किनारे
डगर ये सुहानी गुल गुलशन खिले
प्यारे सनम आ अब लौट चले
आ अब लौट चले, आ अब लौट चले
गीत सुंदर तरानों में आने लगे
लब हमारे भी मुस्कुराने लगे
तार दिल के भी घंटी बजाने लगे
धड़कनों को सनम यूं लुभाने लगे
लोग कहते हम हो गए मनचले
मेरे दिलबर आ अब लौट चलें
आ अब लौट चले, आ अब लौट चले
ये मौसम बहारें फिजाएं खिली
बजे चैन की बंशी जहां तुम मिली
उमंगों की लहरें उठी जब सनम
घिर के काली घटाओं से बरसे हम
प्रीत के मेघ सुहाने बरसने चले
प्रियतम मेरे आ अब लौट चले
आ अब लौट चले, आ अब लौट चले
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )