
आ रहे श्रीराम हमारे
( Aa rahe shri ram hamare )
जन जन की आंखों के तारे, आ रहे श्रीराम हमारे।
घट घट वासी रघुवर प्यारे, अवधपुरी राज दुलारे।
आ रहे श्रीराम हमारे
दशरथ नंदन जय श्रीराम, रघुपति राघव राजाराम।
लीला अपरंपार धनुर्धर, तिर जाते पत्थर धर नाम।
दुष्ट दलन आए अवतारी, बड़े-बड़े दानव जब मारे।
राम नाम की महिमा भारी, भवसागर से पार उतारे।
आ रहे श्रीराम हमारे
रघुनंदन संतन प्रतिपाला, दीनबंधु राघव दीनदयाला।
पर्वत उठा लाए संजीवन, भक्त हनुमत अंजनी लाला।
पंचवटी सीता संग लक्ष्मण, ऋषि मुनियों की पीर हरे।
सिंधु तीर शिव पूजा कीन्ही, रामेश्वरम हरि ध्यान धरे।
आ रहे श्रीराम हमारे
रामनाम पत्थर लिख डाले, रामसेतु निर्माण जगा।
लंका पे कर दी चढ़ाई, रावण को अग्नि बाण लगा।
पापियों का पाप हरे प्रभु, राम धरती का भार उतारे।
सूर्यवंशी श्रीरामचंद्र स्वामी, जग के प्रभु तारणहारे।
आ रहे श्रीराम हमारे
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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