लगा आज | Geet Laga Aaj
लगा आज
( Laga Aaj )
लगा आज
हँसने का दिन हैै ,
उसके मन
बसने का दिन है .
निकल गए जो बच राहों से ,
फिसल गए बहकी बाहों से .
वे लम्हे
कसने का दिन है .
पड़ी चमेली अब ये झुलसी ,
तुलसी भी अब लगती हुलसी .
गर्मी में
चसने का दिन है .
अश्व सूर्य के दौड़ गए हैं ,
साँझ अकेली छोड़ गए हैं
बिना बात
खसने का दिन है ।
राजपाल सिंह गुलिया
झज्जर , ( हरियाणा )