लोगआखिर क्यों आग लगाते हैं | Geet Log Aakhir
लोगआखिर क्यों आग लगाते हैं
( Log Aakhir Kyon Aag Lagate Hain )
लोग आखिर क्यों आग लगाते हैं
फिर मदद के लिए सामने आते हैंं।
मैंने देखा है उन्हें चौराहे पर रोते
जिनका जला है घर आंँखें भिगोते
ऐसे वैसे और झूठे भी समझाते है।
लोग आखिर क्यों आग लगाते हैं।।
मजहब की जो बातें ये चलती है
घर में विधवा भी तो बिलखती है
मांग के सिंदूर जिनके मिटाते हैं।
लोग आखिर क्यों आग लगाते हैं।।
फल की दुकानें धुआं धुआं जली
हँसते रहे वहीं कपटी और छली
आग तो बुझती लेकिन फैलाते हैं।
लोग आखिर क्यों आग लगाते हैं।।
विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड