सावन आया तू भी आ जा | Geet Sawan Aaya
सावन आया तू भी आ जा
( Sawan aaya tu bhi aaja )
सावन आया तू भी आ जा।
मेरे मन की प्यास बुझा जा।
कैसी ह़ालत है क्या बोलूं।
तू जो बोले तो लब खोलूं।
पल भर मेरे पास में आ कर।
मेरी सुन जा अपनी सुना जा।
सावन आया तू भी आ जा।
तुझ बिन तड़पे मछली सा मन।
बूंदों से भी जलता है तन।
मन में अजब सी हूक उठी है।
आ कर मन की हूक मिटा जा।
सावन आया तू भी आ जा।
पागल बन कर ढूंढूं तुझको।
चैन कहीं भी आए न मुझको।
और न तड़पा मन को जानू।
नैन से मेरे नैन मिला जा।
सावन आया तू भी आ जा।
सावन आया तू भी आ जा।
मेरे मन की प्यास बुझा जा।
पीपलसानवी