
उठो देश के कर्णधार
( Utho desh ke karnadhar )
मेरे देश के वीर जवानों, उठो देश के भावी कर्णधार।
जिस माटी में जन्म लिया, रखना मां से नेह अपार।
पढ़ लिख ज्ञानवीर बनो, यश कीर्ति वैभव किरदार।
जग रोशन करो देश का, खुशहाली से भरो भंडार।
उठो देश के कर्णधार
प्रगति पथ पर बढ़ते जाओ, नूतन नव संचार करो।
सद्भावो की बहा दो गंगा, आपस में मिल प्यार करो।
अपनापन अनमोल सलोना, प्रीत की बहती रसधार।
रणवीरों का देश हमारा, वैभवशाली हमारे संस्कार।
उठो देश के कर्णधार
त्याग तपस्या शौर्य भूमि, साधु-संतों की पावन धरती।
जहां बहती पावन गंगा, दुनिया के दुख दर्द सारे हरती।
निर्मल मन में लहरें उठती, स्नेह सुधा रस बहे बयार।
कर लेना शुभ काम धरा पर, तब होगा सुंदर संसार।
उठो देश के कर्णधार
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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