होळी आई रे भोळा भंडारी
( Holi Aayi re Bhola Bhandari )
राजस्थानी धमाल
होळी आई रे भोळा भंडारी, भस्म रमा।
होळी आई रे
भांग घोटकर पीगो शंकर, आक धतूरा खागो।
नाग लपेटयां नंद द्वार प, नीलकंठ जद आगो।
कृष्ण कन्हैयो मदन मुरारी, मुरली मधुर बजाई रे।
होळी आई रे
भूत प्रेत पिशाच को डेरो, तांडव कर रहयो भोळो मेरो।
गंगाधारा जटा सूं बहरी, मेट सी फंदो बाबो कष्ट घणेरो।
बम लहरी महादेव मतवाळो, डम डमरू तान लगाई रे।
होळी आई रे
हर हर महादेव शिवशंकर, औघड़ दानी भंडार भरै।
एक लोटा जल काशीनाथ न, सबका बेड़ा पार करै।
बदल जाय किस्मत की रेखा, शिव किरपा बरसाई रे।
होळी आई रे
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )