गीत वतन के गाएंगे | Geet Watan ke Gayenge
गीत वतन के गाएंगे
( Geet watan ke gayenge )
गीत वतन के गाएंगे, घट घट अलख जगाएंगे।
प्रेम का दीप जलाएंगे, जग रोशन कर जाएंगे।
गीत वतन के गाएंगे
देशभक्ति रंग बिखरा कर, राष्ट्र प्रेम तराने गाकर।
आजादी के दीवानों को, भावों के पुष्प चढ़ाकर।
अमर शहीदों की गाथा, यशगान वीरों के गाएंगे।
मातृभूमि पर मिटने वाले, प्राणों की भेंट चढ़ाएंगे।
गीत वतन के गाएंगे
क्रांतिकाल में लड़ी लड़ाई, वीरों ने जान गंवाई।
टूट पड़े महासमर में, शौर्य पताका गगन लहराई।
वीरों के गुणगान गीत में, ओजस्वी स्वर सुनायेंगे।
धीर-वीर रणवीरों के ध्वज, कीर्तिमान फहराएंगे।
गीत वतन के गाएंगे
बलिदानों की परिपाटी पर, रण बांकूरे ही जाते हैं।
अमर सपूत भारती को, शीश अर्पण कर जाते हैं।
देशप्रेम मतवालों की, हम राहों में पुष्प सजाएंगे।
राष्ट्र प्रेम की ज्योत जगा, गीत वंदे मातरम गाएंगे।
गीत वतन के गाएंगे
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )