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युद्ध | Kavita youdh

युद्ध

( Youdh )

 

देशों की लड़ाई भीषण चाहे युद्ध महाभारत होता
समर भयंकर दुखदाई अनिष्ट अशुभ आर्त होता

 

हाहाकार मच जाता है मारकाट होती भारी
नरसंहार निरंतर होता विनाश लीलायें सारी

 

राम रावण युद्ध हुआ तो लंका का विनाश हुआ
कलिंग युद्ध में अगणित कितना नरसंहार हुआ

 

कौरवों की जिद ने महाभारत युद्ध करवा डाला
बड़े-बड़े दिग्गज महारथि को रण में मरवा डाला

 

छत्रपति शिवाजी ने लड़ी लड़ाई राष्ट्र उत्थान की
महाराणा प्रताप युद्ध लड़े रक्षा की स्वाभिमान की

 

क्रांतिकाल में कूद पड़े आजादी के मतवाले वीर
हाथों में लेकर तिरंगा चल रहे जब वीर रणधीर

 

राष्ट्रभक्त दीवानों का बलिदान अमर हो जाता है
अत्याचार अन्याय विरुद्ध जब युद्ध छिड़ जाता है

 

जब मतभेद होते आपस में टकराते विचार कभी
महासमर को न्योता देते फिर होता रणसंहार तभी

 

तलवार नहीं तोपें चलती बस्ती की बस्ती जलती है
लड़ाकू विमान मंडराये दिलों में दहशत पलती है

 

अमन चैन शांति खातिर सबको मिलकर रहना है
आंधी तूफां सुख दुख आते राष्ट्रधारा में बहना है

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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