ग़ज़ल | Ghazal par Ghazal
ग़ज़ल
( Ghazal )
सिंहासन से हिली ग़ज़ल ।
कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।।
पेरोकार गरीबों की ।
जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।।
गुमी याद के जंगल में ।
टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।।
घिसते – घिसते ही होगी ।
चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।।
उहापोह से जब निकली ।
दिखी फूल सी खिली ग़ज़ल ।।
लेखक : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव
171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)