आप भी | Ghazal Aap Bhi
आप भी
( Aap Bhi )
ह़ुज़ूर आप भी कैसा कमाल करते हैं।
ज़रा सी बात पे लाखों सवाल करते हैं।
सितम ये कैसे वो ज़ोहरा जमाल करते हैं।
हर एक गाम पे हम से क़िताल करते हैं।
अजीब ह़ाल रक़ीबों का होने लगता है।
वो जब भी बढ़ के हमारा ख़याल करते हैं।
हमेशा ग़र्क़ वो रहते हैं अपनी मस्ती में।
मिरे मलाल का कब वो मलाल करते हैं।
जो अपने काम को तर्जीह़ देते हैं हर दम।
वही ज़माने में क़ायम मिसाल करते हैं।
ह़रीफ़े इ़श्क़ सुलगते हैं गीली लकड़ी से।
वो जब भी हम पे ज़रा सी नवाल करते हैं।
फ़राज़ कैसे बताऊं मैं ह़रकतें उन की।
शरारतें जो ज़मीं के ह़िलाल करते हैं।
पीपलसानवी