इश्क विश्क प्यार व्यार | Ghazal Ishq Vishk
इश्क विश्क प्यार व्यार
(Ishq Vishk Pyaar Vyaar)
इश्क विश्क प्यार व्यार सब बेकार बातें है,
मिलना जुलना कुछ वक्त की मुलाकातें है !
पानी के बुलबुले सी है चांदनी कुछ पल की,
उसके बाद सिर्फ तन्हा स्याह काली रातें है !
अपने-अपने स्वार्थ से जुड़ते है सब यहां पर,
मतलबी लोग, झूठे दुनिया के रिश्ते नाते है !
ख्वाबों ख्यालों जैसी रखते है फितरत लोग,
ना जाने कब में आते है कब में चले जाते है !
झूठी है दुनिया सारी, झूठे इनके फ़साने है,
किस पे करे भरोसा सब ‘धर्म’ राग गाते है !!
डी के निवातिया