घर नहीं मिला | Ghazal Ghar Nahi Mila
घर नहीं मिला
( Ghar Nahi Mila )
हमसे मुसाफिरों को कहीं घर नहीं मिला
रस्ते बहुत थे राह में रहबर नहीं मिला
वीरान रास्तों में पता किससे पूछते
राह-ए-सफ़र में मील का पत्थर नहीं मिला
दिन रात हम उसी के ख़यालों में ही उड़े
तन्हाइयों में चैन तो पल भर नहीं मिला
उसके सितम में प्यार की शामिल थीं लज़्ज़तें
उस सा करम नवाज़ सितमगर नहीं मिला
दो घूँट पीके और भी जागी है तशनगी
साग़र कभी शराब का भर कर नहीं मिला
उस पर उड़ेल दीं हैं सभी दिल की ख़्वाहिशें
वो शख़्स है कि आज भी खुलकर नहीं मिला
साग़र तलाशे-यार में भटके कहाँ कहाँ
उस हुस्ने इल्तिफ़ात सा पैकर नहीं मिला
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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