पल पल में जज़्बात बदलते हैं | Ghazal jazbaat
पल पल में जज़्बात बदलते हैं
( Pal pal mein jazbaat badalte hain )
पल पल में जज़्बात बदलते हैं
लोग यहां अब साथ बदलते हैं
लहज़ों में तब्दीली लाकर क्यों
तू से तुम,तुम से आप बदलते हैं
चुगली करके वो पीछे मेरी
मेरे आगे बात बदलते हैं
अब मेरे कितने हमसाए हैं
अब मेरे हालात बदलते हैं
जिनके दिल में हो नफरत काबिज़
उनके दिल ख़ाक बदलते हैं
तुम बदलोगे आज हक़ीक़त को
हम भी फैसल ख़्वाब बदलते हैं
शायर: शाह फ़ैसल
( सहारनपुर )
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