खानाबदोश | Ghazal Khanabadosh
खानाबदोश
( Khanabadosh )
रहने लगे है आप भी खानाबदोश से
लगता है आँख लड़ गयी खानाबदोश से
फानी बदन की चाह में जीवन न तू गवाँ
सुनते है बात संत सी खानाबदोश से
जो हमसफ़र के साथ कटे वो है जिंदगी
इतनी सी बात सीख ली खानाबदोश से
इक नौकरी के वास्ते सब यार छुट गए
रहते है सारे यार भी खानाबदोश से
पथरा गयी है आँख भले राह देख कर
लेकिन करेंगे प्यार उसी खानाबदोश से