खुमार सावन का | Ghazal Khumaar Sawan ka
खुमार सावन का
( Khumaar Sawan ka )
बीता मौसम हज़ार सावन का
आप बिन क्या शुमार सावन का
बात बनती नज़र नही आती
है अधूरा जो प्यार सावन का
इक नज़र देख लूँ अगर तुमको ।
तब ही आये करार सावन का
वो न आयेगा पास में मेरे
क्यों करूँ इंतज़ार सावन का
आप आये हो मेरी महफ़िल में
चढ़ रहा है खुमार सावन का
आस ये आखिरी मेरे दिल की
करके आओ शृंगार सावन का
आप क्यों अब चले नही आते
कुछ तो होगा उधार सावन का
बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी
खो ही जाता करार सावन का
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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