Ghazal nafraton ki fiza

यहाँ चल रही नफ़रतों की फ़िज़ां है | Ghazal nafraton ki fiza

यहाँ चल रही नफ़रतों की फ़िज़ां है!

( Yahaan chal rahi nafraton ki fiza hai )

 

 

यहाँ  चल रही नफ़रतों की फ़िज़ां है!

खिलेंगे नहीं प्यार के गुल यहाँ है

 

बिदा हो गयी है बहन आज घर से

 यहाँ आंखों से ख़ूब आंसू  रवाँ है

 

सनम छोड़ दे तल्ख़ यूं बात करना

यहां और वरना  बहुत से  मकाँ है !

 

कहां से तुझे फूल लाकर सनम दूं

चमन में सभी हो गये गुल ख़िज़ाँ है

 

दुआ कर रहा हूँ ख़ुदा से यही मैं

सलामत रहे  तू हमेशा जहाँ है

 

ग़मों से  रिहाई मिले अब मुझे तो

ख़ुदा से यही रोज़ मेरी फुग़ाँ है

 

तुझे याद वो कर रहा ख़ूब आज़म

बहुत आजकल आ रही हिचकियाँ है

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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