ओ सितमगर तू भी | Ghazal O Sitamgar
ओ सितमगर तू भी
( O Sitamgar tu Bhi )
शह्र वीरान भी दहशत की गवाही देंगे
ढ़ेर बारूद के दुनिया को तबाही देंगे
शब अमावस की न हम तुमको सियाही देंगे
हम तुम्हें जाने अदा सिर्फ़ वफ़ा ही देंगे
टूट जाये मेरा ये जाम भी परवाह नहीं
मेरे हाथों में तो मयख़ार सुराही देंगे
हो जा क़ुर्बान वतन पे तू मेरे लख़्त-ए- जिगर
फिर शहादत को भी सैल्यूट सिपाही देंगे
रखते सब पर हैं नज़र सुन ओ सितमगर तू भी
तेरे पापों की सज़ा तुझको इलाही देंगे
करले लोगों के दिलों पर तू हुकूमत बंदे
लोग फिर रुतबा यहाँ पर तुझे शाही देंगे
अपनी गज़लों में तुझे याद रखेंगे मीना
तेरी अर्थी पे वो दो फूल चढ़ा ही देंगे
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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