ख़ुदा पे जिसको यक़ीं नहीं है
( Khuda pe jisko yakeen nahi hai )
हयात उसकी हसीं नहीं है
ख़ुदा पे जिसको यक़ीं नहीं है
है कौन दुनिया में शख़्स ऐसा ?
तू जिसके दिल का मकीं नहीं है
जो तेरे दर पर झुकी नहीं हो
कोई भी ऐसी ज़बीं नहीं है
बसा है तू उनके भी दिलों में
जो कहते हैं तू कहीं नहीं है
बदल गया है जहां में सब कुछ
वो आसमां वो ज़मीं नहीं है
हज़ारों ग़म सह लिये ‘अहद’ ने
मगर ये दिल बेयक़ीं नहीं है !
शायर: :– अमित ‘अहद’
गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129