प्यार नीलाम हुआ | Ghazal Pyar Neelam Hua
प्यार नीलाम हुआ
( Pyar Neelam Hua )
प्यार नीलाम हुआ अक्ल के दानाई में
जीत का जश्न मनाता है वो हाराई में II
चाल पे चाल चला शर्म निगाहों से गुम
आज हम चौक गए सोच के तन्हाई में II
यक-ब-यक तोड़ रहा आज मरासिम जो वो
बेअसर वक्त भी होगा कभी भरपाई में II
सत्ह पे तैर लिया क्या है बड़ा ये मसला
बात गौहर की करो तैर के गहराई में II
ये ज़रूरी तो नहीं लफ्ज़ हमेशा जीते
आज तो नज़्र भी ना बोलती सच्चाई में II
बेखुदी तर्क यहाँ मर्ज़ जिन्हे लगता है
डूब के देख कभी प्यार की गहराई में II II
फिक्र अरमान हसद हुस्नपरस्ती, कातिल I
तोड़कर बाँध बहे जब ये किसी खाई में II
सुमन सिंह ‘याशी’
वास्को डा गामा, ( गोवा )
शब्द
दानाई = बुद्धिमत्ता, अक्लमंदी, चातुर्य, निपुणता, होशियारी
हाराई = हार
मरासिम = सम्बन्ध
गौहर =मोती, बहुमूल्य पत्थर ,मुक्ता, मुक्तक
तर्क = त्याग