रिवाज़ दुनिया के | Ghazal Rivaaz Duniya Ke
रिवाज़ दुनिया के
( Rivaaz Duniya Ke )
रिवाज़ दुनिया के इतने सुनों ख़राब नहीं
शराब पीता है हर आदमी जनाब नहीं
अभी तो दिल पे भी मेरे कोई अज़ाब नहीं ।
हुई क्या बात जो रुख पे रुका हिज़ाब नहीं ।
करूँ न ख़ार से मैं दोस्ती कभी यारो
पिये मैं रहता हूँ हरदम कोई शराब नहीं
हिजाब रुख से हटाओ नज़र उतारूँ मैं
हसीन आप से ज्यादा लगे गुलाब नहीं
नज़र से आज पिया तो बड़ा कमाल हुआ
लबों से ज़ाम का हमने किया हिसाब नहीं
बहुत उदास है ये दिल अभी बहारों से
हमारे खत का जो आया अभी जवाब नहीं
किया तो प्यार बहुत हमने छुप के दुनिया से
इसीलिए तो हुए यार कामयाब नहीं
करोगे कैसे वफ़ा ये प्रखर बता भी दो
तुम्हारे दिल की तो लगता खुली किताब नहीं
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )