Arman Shayari
Arman Shayari

कोई अब अरमान नहीं है

( Koi ab arman nahin hai ) 

 

प्यार की पहचान नहीं है
कोई अब इंसान नहीं है

इस जगत में कौन है ऐसा
जो यहाँ मेहमान नहीं है

हर कोई मायूस लगे अब
चेहरों पर मुस्कान नहीं है

बाप की बातें न ले दिल पर
ये तेरा अपमान नहीं है

पूछती है रोज़ ग़रीबी
क्या कहीं भगवान नहीं है ?

आज के इस दौर का आशिक़
इश्क़ पर कुर्बान नहीं है

छोड़ दें हम प्रेम ग़ज़ल का
अब तो ये इमकान नहीं है

जो अमर इंसान को कर दे
ऐसा तो वरदान नहीं है

मिल गयी हर चीज़ ‘अहद’ को
कोई अब अरमान नहीं है !

शायर: :– अमित ‘अहद’

गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129

 

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