यहाँ संहार राखी का | Ghazal Sanhar Rakhi ka

यहाँ संहार राखी का

( Sanhar Rakhi ka )

मनाएँ हम यहाँ कैसे बता त्यौहार राखी का ।
नहीं बहनें हिफ़ाज़त में यहाँ बाज़ार राखी का ।। १

मिटा दो पर्व राखी का कहाँ अब मान होता है ।
जहाँ बहनें गई लूटी वहाँ त्यौहार राखी का ।। २

सभी की हैं यहाँ बहनें कलाई ही बताती है ।
बताओ कौन करता है यहाँ संहार राखी का ।। ३

चले आए उठाकर सर बहन अब बाँध दो राखी ।
बचा पाएँ न अस्म़त को जताएँ प्यार राखी का ।। ४

प्रखर कितना निभाते हो यहाँ तुम प्य़ार बहनों से ।
कलाई जब रही सूनी किया तकरार राखी का ।। ५

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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