सहरा को गुलशनों का सिलसिला बना दिया | Ghazal
सहरा को गुलशनों का सिलसिला बना दिया
( Sehra ko gulshano ka silsila bana diya )
सहरा को गुलशनों का सिलसिला बना दिया !
कमजोरियों को उसने हौसला बना दिया !!
हर दिल में तरसती जमीं की प्यास बुझाने
चाहत का और सुकून का दरिया बना दिया !!
कुछ ऐसा हर इक जंग को तब्दील कर दिया
हारों को जीतने का फैसला बना दिया !!
सैलाब बन के आईं यहाॅं जो भी मुसीबत
सब मुश्किलों को उसने बुलबुला बना दिया !!
हर बार हर खुशी को जो इनकार मिले थे
उन सब को उसने वक्त की रजा बना दिया !!
जो भी जताए जाते थे एहसानों के सिले
उसने उन्हें हक का नया रिश्ता बना दिया !!
आ कर मिटा दिया हर इक अहसासे कमतरी
हर दिल को इक जुनून का जज़्बा बना दिया !!
देखा जहाॅं ने पास उसके ऐसा असलहा
जिसने बुलन्दियों को भी अदना बना दिया !!
एहसास ए खुद्दारी दिलों में ऐसी जगा दी
अपने वतन को चांद सा प्यारा बना दिया !!
क्यों ना रहे वो मुल्क का महबूब सरपरस्त
जिसने वजूद इसका क्या से क्या बना दिया !!
दुनिया ने माना था जिसे मामूली एक देश
उसने उसे “आकाश” का तारा बना दिया !!
*****
[सहरा=रेगिस्तान,खाली मैदान,जंगल।
गुलशन= बाग, उद्यान।
हौसला=साहस, हिम्मत, सामर्थ्य।
सुकून=शान्ति,आराम।
दरिया=नदी,सरिता,समुद्र।
तब्दील=बदलना,परिवर्तन।
फैसला=निर्णय,न्याय।
सैलाब=बाढ़,नदी का अधिक प्रवाह,जल प्लावन।
बुलबुला=लघु आकार,कमजोर,अल्पजीवी।
रजा= चर्चा,आज्ञा, स्वीकृति,मर्जी।
इनकार=अस्वीकृति।
सिला=फल,पुरुस्कार,बदला।
अहसासे कमतरी= तुच्छता, हीनता का अनुभव,महत्वहीन होने की अनुभूति।
एहसान=नेकी,उपकार,कृतज्ञता प्रकट
होने का भाव।जज़्बा =आवेश, जोश, भावना।
जुनून=उन्माद,दीवानगी,पागलपनन।
असलहा= हथियार,शस्त्र।
अदना=छोटा,मामूली,साधारण,
तुच्छ। बुलन्दी =ऊॅंचाई, उत्कर्ष।
अदन=कमतर,
छोटे दर्जे का,नीच,तुच्छ,साधारण,जिसकी कोई गिनती ना हो।
एहसास=अनुभव,अनुभूति,ज्ञान।
खुद्दारी=स्वाभिमान,आत्मसम्मान,आत्मगौरव।
महबूब=प्रिय,प्रिय पात्र।
सरपरस्त= संरक्षक,अभिभावक, सर्वश्रेष्ठ रक्षक।
आकाश का तारा= सबसे अधिक ऊॅंचा, सर्वश्रेष्ठ।]
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
यह भी पढ़ें :-