Ghazal tere aansu
Ghazal tere aansu

तेरे आंसू

( Tere Aansu )

 

दिलो दिमाग में दिन रात रहा करते है।
तेरे आंसू मेरी ऑंखों से बहा करते हैं।।

टूटने का सबब पत्ते से पूछना न कभी,
हिज़्र के दर्द से मकां भी ढहा करते हैं।।

बमुश्किल मिलता है पल भर का सुकूं,
उम्र भर गम इसी के लिए सहा करते हैं।।

सुपुर्दे ख़ाक करके इतनी जल्दी चले गये,
ज़माने वाले जिसे अपना कहा करते हैं।।

दीया जलाना मगर बेख़बर न होना शेष,
आजकल आस पास तूफां रहा करते हैं।

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लेखक: शेषमणि शर्मा”इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )

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