तू न नफ़रत किया कर | Ghazal too na nafrat kiya kar
तू न नफ़रत किया कर
( Too na nafrat kiya kar )
किसी से मगर तू न नफ़रत किया कर
सभी से मगर तू मुहब्बत किया कर
बहुत डाट मिलती है मां बाप की ही
नहीं घर किसी से शिक़ायत किया कर
गुनाहों से तेरी नहीं जीस्त होगी
ख़ुदा की मगर तू इबादत किया कर
भला सोच तू मुफ़लिसो को हमेशा
ग़लत यूं नहीं तू सियासत किया कर
यहाँ होगे वरना अदू सब तेरे ही
किसी से नहीं तू बग़ावत किया कर
भले की सदा सोच तू मुफ़लिसो की
बुरी सी मगर यूं न आदत किया कर
रहा कर मेरा दोस्त बनकर कहूँ सच
नहीं यूं आज़म से अदावत किया कर
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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