तू छेड़ मत | Ghazal tu chhed mat
तू छेड़ मत
( Tu chhed mat )
तू छेड़ मत नहीं है अच्छा मिज़ाज मेरा
करता नहीं है कोई ग़म का इलाज मेरा
आटा पिसेगा कैसे अब भूख ये मिटेगी
के भीग सब गया है देखो अनाज मेरा
वो तल्ख़ लहज़े में मुझसे कर गया बातें है
उसने करा नहीं कल देखो लिहाज़ मेरा
हाले दिल ही सुनाता अपना किसे भला मैं
कोई नहीं नगर में ही था जाँ नवाज़ मेरा
जीवन अंधेरों में ग़म के खोया है यहां तो
यारों बुझा ख़ुशी का ऐसा सिराज मेरा
कल रोठी दी नहीं इक भूखे फ़कीर को
के देखो हो गया है जालिम समाज मेरा
जिसका वफ़ा मुहब्बत से साथ है निभाया
दिल तोड़ वो गया बेदर्दी से आज मेरा
ऐसी लगी किसी की यारों बुरी नज़र है
हाँ बंद हो गया है सब कामकाज मेरा
आज़म कहा नहीं उससे कभी ग़लत कुछ
हर बात में करें है वो ऐतराज़ मेरा