यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है | Ghazal yahan ho rahi khoob ab mayakashi hai
यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है !
( Yahan ho rahi khoob ab mayakashi hai )
यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है !
न कोई बची गांव की वो गली है
हुई बात ऐसी यहाँ कल अपनों में
यहाँ गोलियां ख़ूब देखो चली है
मिले दोस्ती का भला हाथ कैसे
अदावत कि दीवार राहें खड़ी है
मिला चोर वो ही नहीं है कही भी
उसे ख़ूब ढूंढ़ा मैंनें हर गली है
अमीरी कर दे जिंदगी उम्रभर अब
ख़ुदा कट रही जिंदगी मुफ़लिसी है
मिलाऊँ भला हाथ किससे यहाँ तो
यहाँ हर दिलों में बसी दुश्मनी है
भला ख़ुश रहे जीस्त में आज़म कैसे
यहाँ ख़ूब दिल में उदासी भरी है