Gulabi Rang par Kavita

गुलाबी रंग | Gulabi Rang par Kavita

गुलाबी रंग

( Gulabi rang ) 

 

उत्साह उमंग हर्ष जगाता मन में खुशियां लाता।
रौनक लाता गुलाबी रंग ओजस्वी सबको भाता।

महकते गुलाब सा, जब खिल उठा मन मेरा।
हंसी होठों पर छाई, खूब दमक उठा चेहरा।

मधुबन में बहारों की, मधुर मधुर चली पुरवाई।
मस्ती का आलम छाया, खुशियों की घड़ी आई।

नई-नई भोर का ताजा, प्यारा अहसास लगता।
मुस्कुराता चेहरा भी, लोगों को खास लगता।

दो मीठे बोल कह दो, लगता ज्यो मालामाल हो।
भीड़ भरी इस दुनिया में, खिले गुलाबी गाल हो।

हौसला उत्साह देता, गुलाबी सा अहसास का।
दुनिया ये महक उठे, खिले चेहरा जनाब का।

गाल गुलाबी दमकते गोरी के गुलाल लगाकर।
चेहरा हर्ष से चमकता अपनों का प्यार पाकर।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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