गुलो-गुलजार करती है दिलों को सार की बातें
गुलो-गुलजार करती है दिलों को सार की बातें
गुलो-गुलजार करती है दिलों को सार की बातें।
जुबां से फूल झरने दो करो बस प्यार की बातें।।
दिलों को बांटते हैं जो रहे वो दूर ही हमसे।
पङी इक ओर रहने दो सभी तकरार की बातें।।
मुसलमां है न हिंदू है करे क्यूं भेद दोनों में।
यहां ईंसान है सारे न कर बेकार की बातें।।
नज़ारे है सभी फीके न जब तक देख लूं उनको।
दिलाती चैन इस दिल को सदा दीदार की बातें।।
मिले वो ख्वाब में मुझको कभी वो आके यादों में।
सदा हलचल मचाया करती है दिलदार की बाते।
मिले फुर्सत कभी यारो ज़माने भर की बातों से।
घङी भर देखना करके कभी करतार की बातें।।
‘कुमार’खामोश रहकर ही सभी कुछ देखता हूं मैं।
न हमको रास आती है कभी संसार की बातें।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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