ग़म से जीना सदा मुहाल रहा
ग़म से जीना सदा मुहाल रहा
ग़म से जीना सदा मुहाल रहा।।
फिर भी जीते रहे कमाल रहा।।
क्यूं दबे हम ग़मों के बोझ तले।
जिंदगी भर यही मलाल रहा।।
पास रह के भी दूर -दूर रहे।
दूरियां क्यूं बढी सवाल रहा।।
याद आती रही दुखाने दिल।
दिल यूं होता सदा हलाल रहा।।
बेवफाई रही सदा ज्यादा।
बस वफाओं का ही अकाल रहा।।
दर्द दिल को हजार बार दिये।
हौसला अपना भी विशाल रहा।।
जख्म दिल पे सहे बने शायर।
शायरी में तभी जमाल रहा।।
हुस्न को देख के फँसे हम तो।
खूब उनका “कुमार” जाल रहा।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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