गुरु घासीदास बाबा जयंती
गुरु घासीदास बाबा जयंती
सन्ना न न ना सना हो रे नना ।
सन्ना न न ना नाना हो रे नना ।।
गुरु बाबा जी के जयंती मनाए बर।
सतनाम के पावन अंजोर बगराए बर।
आवा जी संगी हो आवा जी मितान।
गुरु बाबा के सीख ल कर लव धारन।
सन्ना न न ना सना हो रे नना ।
सन्ना न न ना नाना हो रे नना ।।
चारों मुड़ा म ज्ञान के अंजोर ल बगराए हे।
सत अऊ अहिंसा के रद्दा सबला दिखाए हे।
अज्ञानता के अंधियार ल भगाए हे।
मिलजुल के जिए के पाठ ल पढ़ाए हे।
सन्ना न न ना सना हो रे नना ।
सन्ना न न ना नाना हो रे नना ।।
मनखे मनखे एक समान सब ल बताए जी।
कोनो नई हे छोटे बड़े पाठ सुग्घर पढ़ाए जी।
मुड़ उठाके जिए के हक सबला दिलाए जी।
ऊंच नीच के भेदभाव समाज ले मिटाए हे।
सन्ना न न ना सना हो रे नना ।
सन्ना न न ना नाना हो रे नना ।।
गुरु जी के महिमा तो जग मा अपार हे।
ओकर किरपा ले मिलिस जिए के आधार हे।
सर ल उठा के हमन जीवन बितावत हन।
गुरु बाबा जी के पावन जयंती मनावत हन।
सन्ना न न ना सना हो रे नना ।
सन्ना न न ना नाना हो रे नना ।।
रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )