हाल-ए-दिल बताना है | Haal-E-Dil
हाल-ए-दिल बताना है
( Haal-e-dil batana hai )
हाल -ए – दिल उसे बताना है।
आज कुछ भी नहीं छुपाना है।
प्यार करके ये दिल बहुत रोया,
और पीछे पड़ा ज़माना है।
आँसुओं से लिखे है ख़त मैने,
क्यूँ बना वो रहा बहाना है।
बेवफ़ा वो नहीं पता मुझको,
जान है वो उसे मनाना है।
ज़िंदगी में तो कुछ रहा होगा,
बन गया ख़ुद-ब-ख़ुद फ़साना है।
गर बढ़ाना है हौसला मेरा,
प्यार का दीप फिर जलाना है।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
( वाराणसी )
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