है जुबां पे सभी के कहानी अलग
है जुबां पे सभी के कहानी अलग
है जुबां पे सभी के कहानी अलग।
फितरते है अलग जिंदगानी अलग।।
कौन माने किसी की कही बात को।
खून में है सभी के रवानी अलग।।
मानता खुद को कमतर ना कोई यहां।
जोश से है भरी हर जवानी अलग।।
लाभ की चाह में कर बैठे हानियां।
हर बशर कर चुका है नादानी अलग।।
गलतियों से बचा कौन संसार में।
भूल की है नई भी पुरानी अलग।।
खूबियाँ थी नहीं गुरूर इतना भरा।
साथ में बढ रही बदजुबानी अलग।।
जख़्म पहले दिया फिर कुरेदा उसे।
आज उसने करी महरबानी अलग।।
ढूंढने से मिलेगा खुदा भी “कुमार”।
है जहां में सभी की निशानी अलग।।