उम्मीद के चिराग
उम्मीद के चिराग

उम्मीद के चिराग

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उम्मीद के चिराग जलाए रखिए,
मन-मानस में सदैव संजोए रखिए।
लाएगी सुंदर सुखद खबर शीघ्र-
ना होईए अधीर;
बदल देगी पल में बिगड़ी हुई तकदीर।
उम्मीद का चिराग-
आशा है , किरण है , सपना है,
इसकी ताक में सदा रहना है।
देखें कब यह जलता है?
आपका किया हुआ कैसे फैलता है!
रखें सदैव जोश , जुनून और विश्वास,
उम्मीद से न हों कभी निराश ।
इसके साये मे कट जाती हैं जिंदगियाँ,
इसके किरणों की हैं तलबगार जिंदगियाँ।
इसे समय की साक्षी भी कह सकते हैं,
उम्मीद के चिराग लिए हम ..
समय को ही तो तकते रहते हैं।
विश्वास बनाए रखिए…
वह समय आएगा मन-मस्तिष्क में छायेगा,
जीने की नयी राह दिखलायेगा !
ऊंचाईयों की सैर कराएगा,
सपनों से मिलवाएगा।
यकीन जानिए!
ऐसा ही कुछ कर जायेगा !!
यह उम्मीद भी अजीब है,
हर दिल के करीब है ।
इसके बिना जीवन भी कोई जीवन है ?
नाउम्मीदी तो निराशा है , हताशा है,
हताश, निराश इंसान ही-
आत्मघाती कदम उठाता है !
उम्मीद “जीवनदायिनी” है…
खुद की तरह रखती है चलायमान,
तनिक धीरज रखिये,
आपके होठों पर भी लाएगी मुस्कान ।

 

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नवाब मंजूर

लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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