हमारे पूर्वज | Hamare Purvaj Kavita
हमारे पूर्वज
( Hamare purvaj )
परिवार की नींव है पूर्वज, संस्कारों के दाता है।
वटवृक्ष की छांव सलोनी, बगिया को महकाता है।
सुख समृद्धि जिनके दम से, घर में खुशियां आती।
आशीशों का साया सिर पर, कली कली मुस्काती।
घर के बड़े बुजुर्ग हमारे, संस्कारों भरी धरोहर है।
धन संपदा क्या मायने, गुणों भरा सरोवर है।
खून पसीना बहा बहाकर, सींचा घर फुलवारी को।
पुरखों ने अपने दम पर, महकाया हैं क्यारी को।
पूर्वजों के यश वैभव को, दाग नहीं लगने देना।
कीर्ति पताका दुनिया में, जरा नहीं रुकने देना।
श्रद्धा भाव रख उनको, श्रद्धा सुमन चढ़ाए हम।
भाव प्रसून अर्पित करके, आओ उन्हें नवाएं हम।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )