हवा का झोंका | Hawa ka jhonka
हवा का झोंका
( Hawa ka jhonka )
मधुर मधुर बहती पुरवाई मधुर हवा का झोंका
आंगन में बहारें आई आया मनमीत अनोखा
खिल उठा मधुबन सारा महक गई वादियां सभी
खुशबू फैली मोहक बन चहक गई कलियां तभी
उनके आ जाने से आया मस्त हवा का झोंका
बहारों को मिल गया सुरभीत होने का मौका
महक गई वादियां सभी चमन सारे खिल गए
प्रीत के तराने उमड़े दिल से दिल मिल गए
सावन सी झड़ी लगी हरियाली सी छाने लगी
मन में उठती उमंगे लबों तक भी आने लगी
मदमस्त हमें कर गया इक मस्त हवा का झोंका
बेखुदी सी छाने लगी ज्यों मझधार में डूबी नौका
बदल रही तकदीर हमारी बदल रहा है मौसम
हवा का झोंका आया बह गए सारे हमारे गम
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )