मुझको दिखाता हर लम्हा गरूर है!
( Mujhko dikhata har lamha garoor hai )
मुझको दिखाता हर लम्हा गरूर है!
हर व़क्त रखता वो चेहरा गरूर है
तुझसे ख़ुदा ख़फ़ा होगा बहुत मगर
करना नहीं मगर अच्छा गरूर है
यूं हाथ कल नहीं उससे मिलाया है
हर बात में बहुत करता गरूर है
देखो समझने से माना नहीं बातें
उसका नहीं कभी उतरा गरूर है
हर बात में करे है हट सी रोज़ वो
उसपर चढ़ा बहुत गहरा गरूर है
कुचले ग़रीबों को पैरों तले वो ही
सत्ता का ही चढ़ा ऐसा गरूर है
मैं तोड़ आया हूँ यूं प्यार का रिश्ता
आज़म बहुत उसका देखा गरूर है