हिन्दी दिवस पर पाँच दोहे | Hindi Diwas Par 5 Dohe
हिन्दी दिवस पर पाँच दोहे
( Hindi Diwas Par 5 Dohe )
हिन्दी मिश्री की डली, सरगम की झंकार।
हिन्दी तो मनमोहिनी, अनुरागी संसार।।
हिन्दी भाषा में सभी, कला ज्ञान-विज्ञान।
सबसे पहले हम करें, इस भाषा का मान।।
देवनागरी लिपि अथक, अनुपम अनश अनन्य।
हिन्दी के उपकार से, कौन नहीं है धन्य।।
दिशा-दिशा में हो रहा, हिन्दी का विस्तार।
हिन्दी भारत ही नहीं, बोल रहा संसार।।
ख़ुसरो, तुलसी, जायसी, सूरदास, रसखान।
हिन्दी में इनका सदा, होता है गुणगान।।
रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’
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