हिन्दी है अभिमान हमारा

( Hindi hai abhimaan hamara ) 

 

हिन्दी है अभिमान हमारा,
शब्दों का ये खेल है सारा।
स्वर व्यंजन से बना न्यारा,
मातृभाषा ये प्यारा-प्यारा।।

बिना इसके जीवन अधूरा,
ज्ञान का ये खज़ाना सारा।
काश्मीर से कन्या-कुमारी,
बोलें हिन्दुस्तान इसे सारा।।

विश्व प्रसिद्ध बनी ये भाषा,
है भारत का ये राजभाषा।
सुशोभित बिंदी हिंदी माथे,
रहें अमर भारत की भाषा।।

डैड-मौम ब्रो बोलें ना कोई,
अंग्रेजी अब छोड़ दो भाई।
राज आज हिन्दी के खोलो,
ताज पहनाओ हिंदी बोलों।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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