नसीब | Hindi Kavita Naseeb
नसीब
( Naseeb : Hindi Kavita )
नसीब निखर जाता है, तकदीर भी मुस्काती है।
सारे ग्रह साथ देते, खुशियों की घड़ी आती है।
सेवा स्नेह संस्कार भर, विनय भाव पलता है।
सद्भावो की धारा में, पुष्प भाग्य का खिलता है।
किस्मत के तारे चमकते, सुखों का लगता अंबार।
अनुराग दिलों में पलता, जीवन में बरसता प्यार।
साथ नसीब उनका देता, जो तूफां से भीड़ जाते।
किस्मत के ताले खुल जाए, कर्मवीर भाग्य बनाते।
जीवन की हर डगर पर, हौसलों की होती दरकार।
राह की बाधाएं करती, पथिकों का आदर सत्कार।
दशानन का दंभ हरने, हरि ने लिया राम अवतार।
वन गमन को चले राघव, नियति लीला अपरंपार।
कृष्ण मित्र सुदामा निर्धन, खेल नसीबों का सारा।
एक तरफ द्वारकाधीश, दूजा दीन सुदामा प्यारा।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )