Kavita Yogi Ban
Kavita Yogi Ban

योगी बन

( Yogi Ban )

 

ध्यान धर चिंतन कर
योगी बन तू कर्म योगी बन
नित नव नूतन हर पल
कर सफल अपना जीवन
योगी बन

नश्वर जगत नश्वर काया
स्थिर नहीं कुछ सब माया
सूक्ष्म अणु रूप प्राण पाया
कर प्रज्ज्वलित मन चेतन
योगी बन

यह अनुपम जीव यात्रा
देह जैसे अक्षर मात्रा
समझ मूल जन्म सार
योनियों मे यही श्रेष्ठ तन
योगी बन

पल पल बीत रहा अवसर
डूब रहा क्यों इस भव सागर
जाना है उस पार तुझे
उतर कर , कर ले हरि दर्शन
योगी बन

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

आप कहाँ हैं | Kavita Aap Kahan Hain

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here